ब्लैक बैंगल्स चैप्टर 30
ब्लेक बेंगल्स चेप्टर 30
अविनाश के नफरत की वजह और ज्योति को मिशन मिला
अब तक आपने पढ़ा...ज्योति कबीर को समझाने के बाद एक शातिर मुस्कान के साथ उसके ऑफिस से बाहर निकलती है आर्मी हेडक्वार्टर मे अरमान और आर्या अविनाश को लेकर मीटिंग रूम मे आते हैं जिसमे अविनाश बताता है की वो ज्योति से नफरत करता है...
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अब आगे
अविनाश ज्योति को घूरते हुए कहता है.. "मै नफरत करता हूँ तुमसे.. मै सबको बचा लेता लेकिन तुम.... तुम्हारी वजह से मुझे..."
ज्योति अविनाश की बात काटते हुए तेज आवाज़ मे केहती है... "मेरी वजह से नही... मेरी वजह से नही लेफ्टिनेंट अविनाश आपने अपनी मर्ज़ी से किया है सब..और क्या हासिल हुआ आपको ये सब करके... नफरत मुझसे थी ना.. सामने थी आपके.. कर लेते जो करना था.. लेकिन मेरी टीम को खतरे मे डालकर आपने सही नही किया"
अविनाश ज्योति को घूरते हुए कहता है "मैंने सब तुम्हारी वजह से किया है...जब से तुम आई हो तुमने मुझसे मेरा नाम मेरी इज्जत सब छीन लिया है मेरे हर मिशन को तुमने मुझसे छीन लिया..
मैं तो तुम्हें बहुत पहले ही मार देता लेकिन मैं तुम्हें मारना नहीं चाहता था.....मैं तुम्हें बदनाम करना चाहता था लेकिन हर बार...हर बार कभी अरमान तो कभी आर्या...यह दोनों तुम्हें बचा ही लेते थे"
ज्योति अविनाश को देखते हुए कहती है "मैंने आपसे कभी कुछ नहीं छीना है मुझे जो भी मिला है मेरी काबिलियत मेरी मेहनत की वजह से मिला है"
के एम करिअप्पा अविनाश को देखते हुए कहते हैं "अविनाश यह तुमने सही नहीं किया....तुमने गद्दारी की है अपने ऑफिसर के साथ और अपने देश के साथ... इसलिए तुम्हें सजा मिलेगी"
अविनाश के एम करिअप्पा की तरफ देखते हुए कहता है "मेरी वजह से आपके ऑफिसर को कुछ नहीं होता आप मेरी बात समझने की कोशिश कीजिए"
इतनी वक्त से खामोश बैठे विक्रम सिंह कहते हैं "तुमने जो किया है वो काम स्लीपर सेल्स करते हैं... इंडियन आर्मी मे रेहकर उसी को खोखला कर रहे हो.....और इसकी सजा तो तुम्हें मिलकर रहेगी....और इंडियन आर्मी में देश से गद्दारी करने की सजा क्या होती है यह तुम भी जानते हो....आज के बाद तुम पूरी जिंदगी जेल में रहोगे और तुम्हारी सैलरी तुम्हारा पेंशन सब बंद और रही बात तुम्हारी सज़ा की तो वो आज से शुरू हो जायेगी"....विक्रम सिंह कुछ लोगों को बुलाते हैं जो अविनाश को वहां से लेकर चले जाते हैं
ज्योति के चेहरे पर एक मुस्कान थी जिसमें उसका दर्द साफ दिख रहा था ज्योति खुद को नॉर्मल करती है और कहती है... "मैने खुद को बेगुनाह साबित कर दिया है... आगे फैसला आपका है"
विक्रम सिंह कुछ देर ज्योति को देखते हैं फिर खड़े होते हुए कहते हैं "ठीक है मै तुम्हें परमिशन देता हूं , पूरी तरह से परमिशन है, तुम जो करना चाहती हो जैसे करना चाहती हो कर सकती हो....बस कुछ फॉर्मेलिटीज है जिन्हें पूरा करना पड़ेगा विक्रम सिंह की बातें सुन ज्योति के चेहरे पर एक गहरी मुस्कान आ जाती है...
ज्योति विक्रम सिंह को सेल्यूट करती है और केहती है "थैंक्यू सर थेंक्यू सो मच आपके सपोर्ट के लिए"... विक्रम सिंह सीरियस होते हुए कहते हैं "लेकिन याद रहे तुम जो भी करोगी उसमे इंडियन आर्मी का नाम खराब ना हो"
ज्योति केहती है "ऐसा कुछ नही होगा जिससे इण्डियन आर्मी का नाम खराब हो मै आपको भरोसा दिलाती हूँ" विक्रम सिंह ज्योति को एक लीफाफा देते हुए कहते हैं.. "अब तुमसे मुलाकात मिशन के बाद ही होगी , ऑल द बेस्ट" इतना कहकर विक्रम सिंह वहां से जाने लगते हैं तभी ज्योति कहती है
"थैंक यू सर लेकिन मैं दोबारा मुलाकात का वादा नहीं करती" इतना कहकर ज्योति एक पेपर विक्रम सिंह की तरफ बढ़ा देती है विक्रम सिंह कंफ्यूज होते हुए पूछते हैं "यह क्या है"
ज्योति उन्हें देख मुस्कुराती है फिर कहती है अगर मुझे कुछ हो जाता है तो इसका जिम्मेदार मेरे अलावा कोई नहीं होगा"
ज्योति मुस्कुरा देती है... विक्रम सिंह ज्योति की तरफ देखते हुए ही वो पेपर के एम करियप्पा की तरफ बढ़ा देते हैं और वहाँ से निकल जाते हैं...
के एम करियप्पा कहते हैं "तुम फोर्मलिटिज़ पूरी कर लेना इतना केहकर मिस्टर करियप्पा वहाँ से निकल जाते हैं.... मिताली राज ज्योति के पास आती है और केहती है... "उम्मीद करती हूँ और दुआ करूँगी की तुम सही सलामत वापस आओ"
काव्या जैन भी ज्योति से हाथ मिलाती हैं और उसे ऑल द बेस्ट केहती है फिर काव्या अरमान से एक फोटो लेने के लिए केहती है... अरमान तीनो की एक फोटो लेता है उसके बाद काव्या अरमान आर्या और ज्योति की एक फोटो लेती है.. उसके बाद वहाँ से सब अपने-अपने रास्ते निकल जाते हैं...
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"दिल्ली रेलवे स्टेशन"
ज्योति स्टेशन पर एक चेयर पर बैठी गाने सुनते हुए अपनी ट्रेन का इंतजार कर रही थी ...तभी कोई ज्योति के कंधे पर हल्के से टैप करता है..
ज्योति जब पीछे मुड़कर देखती है तो वह कोई और नहीं यश था यश को वहां देख ज्योति खुश होते हुए पूछती है "तुम यहां क्या कर रहे हो"...यश ज्योति के बगल में बैठते हुए कहता है "बताया था ना अपने दोस्त की शादी में जा रहा हूं"...ज्योति कंफ्यूज होते में पूछती है "लेकिन तुम तो पटना गए थे ना..फिर यहां दिल्ली में क्या कर रहे हो"
यश आराम से अपने फोन में देखते हुए कहता है "कुछ काम था यहाँ इसीलिए दिल्ली आया था..अब वापस जा रहा हूं" ज्योति कुछ पल यश को देखती है लेकिन कुछ कहती नहीं है दोनों बातें करने लगते हैं थोड़ी देर में ट्रेन भी आ जाती है
ज्योति अपनी सीट पर बैठती है और उसी के सामने वाली सीट पर यश भी आकर बैठ जाता है ...इस बार फिर से हुए इस इत्तेफाक को देख ज्योति थोड़ा शक के लहजे मे केहती है.."यह सच में इत्तेफाक ही है या तुम कोई गेम खेल रहे हो"
यश ज्योति की आंखों में देखते हुए कहता है "अगर यह खेल है तो बहुत खूबसूरत खेल है" यश की बात सुन ज्योति कुछ नहीं कहती है और बाहर की तरफ देखने लगती है यश ज्योति को देख हल्का सा हंस देता है और अपने फोन में कुछ करने लगता है....
कौन है यश ? क्या बार-बार उसका ज्योति से मिलना महज एक इत्तेफाक है या है कोई बड़ी साजिश जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी कहानी ब्लेक बेंगल्स
..............बाय बाय.........
madhura
11-Aug-2023 07:09 AM
Nice part
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Rajeev kumar jha
31-Jan-2023 01:05 PM
Nice 👍🏼
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Gunjan Kamal
29-Jan-2023 11:32 AM
बेहतरीन
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